राजस्थान का सौर ऊर्जा क्षेत्र में स्थिति एवं दिशा ।।

 कर्नाटक को पछाड़कर सौर ऊर्जा के क्षेत्र में राजस्थान बना सिरमौर अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में राज्य को मिल रहा है अभूतपूर्व निवे

 जयपुर, 7 फरवरी। राजस्थान अक्षय ऊर्जा की परियोजनाओं की स्थापना के लिए देश में शुरु से ही आदर्श स्थान रहा है। राज्य की सौर विकिरण क्षमता प्रति दिन 5.72 के डब्ल्यूएच प्रति वर्ग मीटर है, जो कि देश में सर्वाधिक है। राज्य में प्रति वर्ष 325 दिनों के औसत के साथ देश में सबसे अधिक धूप खिलती है। राज्य की सौर ऊर्जा क्षमता 142 गीगावाट अनुमानित है जो कि देश का लगभग 19 प्रतिशत है। राज्य की पवन ऊर्जा क्षमता भी लगभग 127 गीगावाट अनुमानित है। राजस्थान सौर ऊर्जा परियोजनाओं में 9 हजार 552 मेगावाट क्षमता के साथ कर्नाटक को पछाड़कर देश में प्रथम स्थान पर है। मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत की उपस्थिति में राज्य सरकार द्वारा मंगलवार को सार्वजनिक क्षेत्र की यूनिट जैसे एनटीपीसी, एनएचपीसी, एसजेवीएन लिमिटेड, टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड, एसईसीआई तथा प्राइवेट संस्थाएं जैसे रिलाअंस न्यू एनर्जी सोलर लिमिटेड, एक्सिस एनर्जी और एसएईएल के साथ 3.05 लाख रुपये के एमओयू पर हस्ताक्षर किया जाएगा। राज्य में अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए लगभग 125 लाख हेक्टेयर भूमि के विशाल भंडार हैं। राज्य के मजबूत बुनियादी ढांचे और कुशल जनशक्ति की उपलब्धता से परियोजनाओं के सुचारू संचालन हो पाएगा। राज्य सरकार द्वारा अक्षय ऊर्जा योजनाओं की स्थापना को प्रोत्साहित करने के लिए, इसे रिप्स - 2019 के तहत थ्रस्ट सेक्टर में शामिल किया गया है। ये मेगा प्रोजेक्ट्स रिप्स 2019 में दिए जाने वाले थ्रस्ट सेक्टर की सविधाओं के अलावा एक कस्टमाइज्ड पैकेज के आवेदन करने के लिए भी पात्र होंगे। राजस्थान सोलर एनर्जी पॉलिसी, 2019 और विंड एंड हाइब्रिड एनर्जी पॉलिसी 2019 जैसी सेक्टर विशेष नीतियों से राजस्थान निवेश के लिए और भी आकर्षक डेस्टिनेशन बन गया है। ’इन्वेस्ट राजस्थान’ अभियान के माध्यम से राजस्थान को देश में सबसे पंसदीदा निवेश डेस्टीनेशन का विजन रखा गया है। इसके माध्यम से राज्य में समावेशी, संतुलित और सतत औद्योगिक विकास के लिए सबसे अनुकूल सिस्टम उपलब्ध करवाया जाएगा। राज्य में सौर, पवन और हाइब्रिड ऊर्जा परियोजनाओं को बढ़ावा देने का उद्देश्य पर्यावरण की रक्षा करना, बिजली, रोजगार निर्माण, नवाचारों के संबंध में आत्मनिर्भर बनना और औद्योगिक और घरेलू उपभोक्ताओं और किसानों को लाभ पहुंचाना है।

 पिछले कुछ समय से उद्योग विभाग द्वारा घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय निवेशक कनेक्ट कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। इन कार्यक्रमों के द्वारा राज्य सरकार 5.73 लाख करोड़ रुपये के 323 एमओयू/एलओआई पर हस्ताक्षर किए गए है। जिलों में आयोजित समिटों में 1.33 लाख करोड़ रुपये के 3 हजार 272 एमओयू/ एलओआई पर हस्ताक्षर हुए हैं। इस पहल से राज्य को ऊर्जा के क्षेत्र में 4.9 लाख करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ है। राज्य सरकार को सौर, पवन तथा हाइब्रिड योजनाओं के अलावा पंप भंडारण परियोजनाओं तथा सौर उपकरण निर्माण के प्रस्ताव भी प्राप्त हुए है। राज्य सरकार हरित हाइड्रोजन नीति, इलेक्टि्रक वाहन नीति जैसी नई नीतियों के साथ हरित ऊर्जा देने के लिए प्रतिबद्ध है। विचारणीय बिन्दु · राजस्थान 9 हजार 522 मेगावॉट सौर ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापित क्षमता के साथ कर्नाटक को पीछे छोड़ते हुए देश में पहले स्थान पर है। ·

 कोविद के कारण हुई कठिन परिस्थितियों के बावजूद राजस्थान में लगभग 4 हजार 800 मेगावाट की क्षमता वाली नई अक्षय ऊर्जा परियोजनाएँ स्थापित की गई। (स्रोतः एम. एन. आर. ई) ·  

अब तक प्रदेश में कुल 14 हजार 328 मेगावॉट क्षमता की अक्षय ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित की जा चुकी हैं। · राज्य सरकार ने अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में 34,200 मेगावाट की परियोजनाओं के लिए कस्टमाइज्ड पैकेज जारी किया है। जिसके तहत मैसर्स अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड 9,700 मेगावॉट क्षमता, मैसर्स जेएसडब्ल्यू 10,000 मेगावॉट क्षमता, मैसर्स ग्रीनको 4,500 मेगावॉट क्षमता और मेसर्स रिन्यू पावर 10,000 मेगावॉट क्षमता की एक परियोजना स्थापित करेगी। राज्य को लगभग 1.50 लाख करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त होगा तथा लगभग 16,000 रोजगार सृजन होगा। · 18,200 मेगावॉट की परियोजनाओं अथवा पार्कों के प्रस्ताव कस्टमाइज्ड पैकेज के लिए प्रक्रिया में हैं। · 

 जोधपुर के भादला में 2,245 मेगावॉट क्षमता का सोलर पार्क चार चरणों में विकसित किया गया है। वर्तमान में यह दुनिया का सबसे बड़ा सोलर पार्क है।


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